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    फुटबॉल क्लब्स से कैसे जुड़ें एक एजेंट की तरह

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    फुटबॉल एजेंट बनने की अगली बड़ी स्टेप है क्लब्स के साथ काम करना। हां, ज़्यादातर समय तो आप अपने प्लेयर्स को रिप्रेज़ेंट करते हैं, लेकिन क्लब्स भी इस प्रोसेस का बहुत ज़रूरी हिस्सा हैं। आपको अक्सर क्लब ऑफिशियल्स से बात करनी होती है—रिलेशन बनाना हो, ट्रांसफर विंडो के लिए तैयारी करनी हो, या फिर सिर्फ ये जानना हो कि आपके प्लेयर का डेवलपमेंट कैसा चल रहा है।
    इस ब्लॉग में हम कुछ आसान और काम के टिप्स सीखेंगे कि क्लब्स से कैसे संपर्क करें और उस रिश्ते को आगे कैसे बढ़ाएं।

    स्टेप 1: बिना तैयारी के मैदान में मत कूदो

    जब भी आप किसी क्लब से कॉन्टैक्ट करने जा रहे हों, तो ज़रा होमवर्क कर लें। आपको PHD लिखने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन इतना तो जान लें कि क्लब कौन है, किस तरह के प्लेयर्स साइन करते हैं, उनका Financial Structure कैसा है, और किस मार्केट से वो आमतौर पर साइन करते हैं। ये बातें बहुत बड़ी नहीं लगेंगी, लेकिन अगर आपने बिल्कुल भी तैयारी नहीं की, तो फर्क साफ दिखेगा। सोचिए, आप इंटरव्यू में जा रहे हैं और कंपनी के बारे में कुछ भी नहीं जानते—क्या होगा?

    स्टेप 2: पहला कॉन्टैक्ट बनाना

    यंग एजेंट्स के लिए सबसे बड़ा चैलेंज होता है—शुरुआत कहां से करें? LinkedIn एक बहुत अच्छा टूल है—कई क्लब ऑफिशियल्स वहां मौजूद हैं और कनेक्ट होने को तैयार भी रहते हैं। Instagram और Facebook जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स भी इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन हर देश की culture अलग होती है, तो कहीं ये आपको कूल बनाएगा, कहीं क्रिंज।

    जब आप कॉन्टैक्ट करने का सोचें, तो एक यूनीक सेलिंग पॉइंट (USP) लेकर आएं। ऐसा कुछ जो सिर्फ आपके पास है। मान लीजिए, आपके पास किसी खास रीजन का एक्सपर्टीज़ है, जहां उस क्लब की पहुंच नहीं है। मेरी एजेंसी का एक पर्सनल USP था—जापानी विमेंस फुटबॉल मार्केट से हमारा कनेक्शन, जो यूरोप और नॉर्थ अमेरिका के क्लब्स के लिए काफी मुश्किल होता है। हमने वो गैप भरा और धीरे-धीरे कई क्लब्स हमसे जुड़ने लगे।

    ज़रूरी नहीं है कि USP हो ही, लेकिन अगर हो, तो ज़िंदगी थोड़ी आसान हो जाती है।

    स्टेप 3: अब उस रिश्ते को बनाए रखें

    अब आता है वो हिस्सा जहां हर एजेंट की अपनी अलग स्टाइल होती है। मैं थोड़ा शांत और सोची-समझी अप्रोच अपनाता हूं—सही टाइम पर फॉलो-अप करता हूं, ज़रूरत से ज़्यादा नहीं। वहीं कुछ एजेंट्स रोज़ कॉल करते हैं जब तक कोई बात न बन जाए। दोनों तरीकों की अपनी जगह है।

    लेकिन एक बात याद रखिए: बदतमीज़ मत बनो। सिर्फ शालीनता दिखाने से आप आधे एजेंट्स से आगे निकल जाओगे।

    साथ ही, अपने प्लेयर्स के इंटरेस्ट्स और अपने खुद के इंटरेस्ट्स की भी रक्षा करना जरूरी है। अगर आपको किसी डेडलाइन से पहले डील फाइनल करनी है, और क्लब वाले रिप्लाई नहीं दे रहे हैं, तो आपको रिस्क लेने के लिए तैयार रहना चाहिए। हां, हो सकता है कि बार-बार फॉलो-अप करने से क्लब को थोड़ा बुरा लगे—लेकिन सोचिए, क्या आप एक नाखुश प्लेयर और खराब होती अपनी reputation को लंबे समय तक झेलना चाहेंगे, या बस किसी क्लब ऑफिशियल को कुछ दिन तक तंग कर लेना पसंद करेंगे?

    ये सब बैलेंस और प्रायोरिटी मैनेज करने की बात है। ये जॉब आसान नहीं है, इसमें रिस्क तो हैं ही—but that’s the game!

    स्टेप 4: सही टाइम पे पहुंचो, वरना दरवाज़ा बंद

    क्लब्स से कॉन्टैक्ट करने का बेस्ट टाइम होता है—मुख्य ट्रांसफर विंडो से 2-3 महीने पहले, और मिड-सीज़न ट्रांसफर विंडो से 1-2 महीने पहले। बहुत जल्दी गए तो कुछ तय नहीं हुआ होगा, बहुत देर से गए तो सीट भर चुकी होगी।

    साथ ही, थोड़ी रिसर्च ज़रूर करें—पिछले ट्रांसफर में किसे रिलीज़ किया, कौन इंजर्ड है—ताकि आप जो प्लेयर सजेस्ट कर रहे हैं, वो सही लगे।

    स्टेप 5: किससे बात करें?

    क्लब की साइज पर डिपेंड करता है। बड़े क्लब्स में स्काउट्स या एनालिस्ट्स से बात करना ज्यादा असरदार होता है। छोटे या मिड-लेवल क्लब्स में आप स्पोर्टिंग डायरेक्टर या जनरल मैनेजर से डायरेक्ट बात कर सकते हैं।

    सारांश:

    क्लब्स के साथ काम करना सिर्फ कुछ ईमेल भेजना नहीं है। ये एक सोच-समझ कर बनाया गया प्रोसेस है जिसमें तैयारी, धैर्य और सम्मान की जरूरत होती है। जो एजेंट क्लब्स के साथ लंबे रिश्ते बनाते हैं, वही आगे जाकर टिकते हैं।

    तीन अहम बातें इस ब्लॉग से:

    1. जिससे बात कर रहे हो, उसके बारे में जानो – रिसर्च ज़रूरी है, ये दिखाता है कि आप प्रोफेशनल हो।
    2. अपनी यूनीक वैल्यू सामने लाओ – कुछ ऐसा ढूंढो जो सिर्फ आपके पास है, जिससे आप भीड़ से अलग दिखो।
    3. टाइमिंग और टोन सही रखो – सही समय पर संपर्क करो और ज़ुबान मीठी रखो, इससे भरोसा बनता है।
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    Rucheek Kuppachi
    Rucheek Kuppachi
    Rucheek Kuppachi is one of the youngest FIFA-licensed agents and serves as the North American partner at SportsEd Advisor, an innovative startup sports agency. Alongside his work in sports management, he is pursuing a degree in marketing at the University of Maryland. Originally from India and having resided in the United States since 2018, Rucheek is deeply passionate about women’s football and is dedicated to elevating the sport to the level it deserves. With a keen interest in global cultures and languages, he seeks to combine his football expertise and multilingual knowledge to share his insights and engage with diverse communities, fostering growth and inclusivity in the football landscape.

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